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हर्निया और हाइड्रोसील: क्या है कारण, लक्षण और उपचार
हर्निया और हाइड्रोसील: आम तौर पर विभिन्न आयु वर्गों के लोगों में पाई जाती है। मेवाड़ हॉस्पिटल आज उन्हीं में से एक परिस्थिति के बारे में आपको पूर्ण रूप से परिचित कराएगी जिसे हर्निया के नाम से जाना जाता है। मुमकिन है कि आपने पहले भी इसके बारे में सुना होगा कि किसी व्यक्ति को हर्निया बताया गया है है। लेकिन शायद आप इसके बारे में पूरी तरीके से परिचित ना हों। इसके साथ ही हम हाइड्रोसील से जुड़ी कुछ बातें भी आपको बताएंगे। सबसे पहले आइए जानते हैं हर्निया से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में।
हर्निया क्या है
यह एक साधारण समस्या है जो कि आमतौर पर पेट मे होती है। लेकिन इसका प्रभाव जांघ के ऊपरी हिस्सों, नाभी, या फिर कमर के इर्द-गिर्द भी हो सकता है। यह परिस्थिति तब उत्पन्न होती है जब हमारे शरीर का कोई अंग, मांसपेशी, या ऊतक किसी छेद की सहायता से उभर कर बाहर आने लगता है। हमारे शरीर के अंदर कुछ खोखली जगह होती है जिसे बॉडी कैविटी (body cavity) कहा जाता है। इस कैविटी के ऊपर चमड़ी की झिल्ली मौजूद होती है। कुछ कारणों से इन कैविटी की झिल्ली फट जाती है और शरीर के अंग का कुछ हिस्सा बाहर निकल जाता है।
हर्निया के प्रकार
1. वंक्षण हर्निया
यह हर्निया का सबसे आम प्रकार माना जाता है। अधिकांश मौकों में इंगुइनल हर्निया ही देखने को मिलता है। यह महिलाओं की तुलना में पुरूषों में ज़्यादा पाया जाता है। शरीर का ज़्यादा वज़न, लंबे समय तक खांसी की शिकायत, या किसी भारी वस्तु को कई बार उठाने के कारण यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस तरह का हर्निया पेट के नीचे की तरफ पाया जाता है।
2. फिमोरल हर्निया
हर्निया का यह प्रकार ज़्यादातर महिलाओं को प्रभावित करता है, खासतौर से वे जो गर्भवती हैं या जिनके शरीर का वज़न ज़्यादा है। फिमोरल हर्निया में उभार जांघ के ऊपरी सतह पर पाया जाता है।
3. इंसिज्नल हर्निया
यह उन लोगों को प्रभावित कर सकता है जिनकी उम्र ज़्यादा है या ज़्यादा वज़न वाले लोग जो पेट की सर्जरी कराने के बाद निष्क्रिय (कम एक्टिव) रहे।
4. अम्बिलिकल हर्निया
यह बच्चों में खासतौर से पाया जाता है। यह स्थिति तब होती है जबकि बच्चे की आंतें नाभी के निकट पेट की दीवार द्वारा बाहर आने लगती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि कुछ मामलों के अलावा यह उम्र बढ़ने के साथ बिना उपचार के ठीक हो जाता है। अगर आपको अम्बिलिकल हर्निया को पहचानना हो तो इसमें नाभी या उसके पास एक उभार दिखने लगता है, खासतौर से जब बच्चा रो रहा हो।
5. हाईटल हर्निया
यह भी एक आम प्रकार का हर्निया है जिसमें व्यक्ति को सीने में जलन हो सकती है। इसके अलावा भी खाना खाने के बाद छाती में दर्द या अन्य तरह की असुविधा का भी सामना करना पड़ सकता है। इसे हाईटस हर्निया के नाम से भी जाना जाता है।
6. एपिगैस्ट्रिक हर्निया
इस प्रकार का हर्निया नाभी और पसलियों के बीच में देखने को मिलता है। कई एपिगैस्ट्रिक हर्निया छोटे होते हैं जिनमें किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते। जो आकार में बड़े होते हैं और उनमें लक्षण नज़र आने लगते हैं तो उनका अपने आप ठीक हो पाना मुश्किल होता है और ऐसे मौकों पर सर्जरी की ज़रूरत पड़ सकती है।
हर्निया के लक्षण
पेट या पेट से जांघ के बीच हर्निया होने पर उभार देखने को मिलता है जो कि दबाने पर अंदर की तरफ वापस भी चला जाता है। या फिर जब कभी व्यक्ति सोने की अवस्था में आता है तो इस तरह का उभार अपने-आप गायब हो जाता है। कुछ गतिविधियां ऐसी भी हैं जिनके होने से उस उभार के बाहर निकलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जैसे कि हंसते, रोते, खांसते, उठते समय या किसी शारीरिक गतिविधि के कारण।
इसके अलावा हर्निया के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं
1. किसी वस्तु को उठाते समय दर्द महसूस होना
2. उभार की जगह पर दर्द या असुविधा होना
3. उभार का आकार समय के साथ बड़ा होना
4. पेट और जांघ के बीच में या अंडकोष की थैली में सूजन या उभार
अगर कोई व्यक्ति हाईटल हर्निया के प्रभाव में आ जाता है, तो उसे शरीर के बाहर उभार नहीं दिखेंगे। इसके कुछ अलग लक्षण हैं, जैसे कि पेट में जलन, खाना निगलने में परेशानी, सीने में दर्द, अन्य दर्द आदि।
यदि किसी को वंक्षण यानि इंगुइनल हर्निया है और दर्द, उल्टी, जी मचलाना, या फिर ऐसा उभार जो कि दबाने पर वापस अंदर ना जाता हो, तो वे तुरंत प्रभाव से डाॅक्टर से सलाह लें।
कई मौकों पर हर्निया के लक्षण नहीं दिखाई देते। और कुछ केस ऐसे होते हैं, जिनमें तत्काल रूप से सर्जरी करना आवश्यक हो जाता है। यदि आप भी दिए गए हर्निया के लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो बेहतर है कि एक बार डाॅक्टर से ज़रूर मिल लें। ऐसे मौकों पर आप मेवाड़ हाॅस्पिटल पधार सकते हैं जहां हमारे कई श्रेष्ठ एवं अनुभव डाॅक्टर्स हर्निया से जुड़ी समस्याओं में आपकी सहायता करेंगे।
हर्निया के कारण
1. शरीर में ज़्यादा वज़न का होना
अगर किसी इंसान के शरीर का वज़न एकदम से बढ़ने लग जाता है, तो ऐसी सूरत में भी हर्निया होने की आशंका रहती है। ज़्यादा वज़न होने पर मांसपेशियों के मध्य फैट जमा होने लगता है जिसके कारण उन पर तनाव पड़ने लगता है। इस कारण वे दो हिस्सों में बंट जाती हैं।
2. पेट से जुड़ी परेशानी
जब किसी व्यक्ति को कब्ज़ की परेशानी होती है तो उसे कई मौकों पर मल त्याग करने में दिक्कतें आती हैं। इस स्थिति के कारण भी पेट में तनाव पड़ने की संभावनाएं रहती है और हर्निया का खतरा बना रहता है।
3. लंबे समय तक खांसी
ज़्यादा लंबे समय तक खांसी होना भी हर्निया के कारण में से एक हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि खांसी के कारण पेट पर तनाव बढ़ता है। इसलिए आप भी इस बात का ध्यान रखें कि यदि आप लंबे समय से खांसी के कारण परेशान हैं तो अनुभवी डाॅक्टर से अपना इलाज कराएं। उचित परामर्श के लिए आप मेवाड़ हाॅस्पिटल आ सकते हैं।
4. मांसपेशियों में दिक्कत
वे महिलाएं जो गर्भावस्था के चरण में हों और उनके शरीर में प्रोटीन और पोषण की संतुष्ट मात्रा ना हो, तो ऐसे समय में मांसपेशियां कमज़ोर पड़ सकती हैं। इसलिए अपने खान-पान का पूर्ण रूप से ध्यान रखें।
5. सर्जरी
किसी व्यक्ति के अतीत में कोई घाव हुआ हो या वह सर्जरी से गुज़रा हो, तो वे भी हर्निया के कारण में से एक कारण बन सकता है यदि उस जगह पर ज़्यादा तनाव प्रकट हो जाए। हर्निया होने की आशंका सिजेरियन आपरेशन के समय भी बढ़ जाती है खासतौर से जब पेट के बीच में टांके लगाए जाएं।
6. पेशाब से जुड़ी परेशानी
अगर किसी को पेशाब करने में दिक्कत हो रही हो या कोई रूकावट आ रही हो, तो ऐसे मौकों पर भी हर्निया जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
7. शारीरिक गतिविधि
आज के दौर में विभिन्न आयु वर्ग के लोग वेटलिफ्टिंग करते हैं। याद रहे कि ज़्यादा वज़न उठाना भी हर्निया का कारण बन सकता है।
8. उम्र
जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे वैसे अधिकांश मौकों पर उनके शरीर के विभिन्न हिस्सों में कमज़ोरी उत्पन्न होने लगती है। वैसे तो यह किसी भी उम्र में अपना प्रभाव डाल सकता है, लेकिन ऐसा बताया जाता है कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह ज़्यादा देखने को मिलती है।
9. कोई अन्य बीमारी
लिवर और किडनी की बीमारी से ग्रस्त लोगों में भी हर्निया की शिकायत हो सकती है।
10. अन्य परेशानियां
कभी-कभी ज़्यादा सीढ़ियां चढ़ने-उतरने के कारण भी हर्निया की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा कुछ ऐसी परिस्थतियां हैं जो हर्निया होने की संभावना बढ़ाती हैं। जैसे कि:-
1. धुम्रपान करना
2. परिवार में किसी करीब के सदस्य को पहले हर्निया होना
3. प्रीमैच्योर बर्थ (समय से पहले जन्म होना) या फिर जन्म के समय वज़न कम होना
4. खराब पोषण
5. प्रेगनेंसी
हर्निया का इलाज
जिस जगह हर्निया पाया जाता है, मुमकिन है कि उस जगह पर उभार को देखा या महसूस किया जा सके। इसका पता फिजिकल परीक्षण के द्वारा लगाया जा सकता है। कुछ मौकों पर सीटी-स्कैन या अल्ट्रासाउण्ड की आवश्यकता भी पड़ सकती है। आंतों में ब्लोकेज होने पर पेट का एक्स-रे भी किया जा सकता है।
अब बात की जाए हर्निया के इलाज की, यदि बच्चों में अम्बिलिकल हर्निया होता है, तो वो अपने आप चार सालों के अंतराल में बिना किसी सर्जरी के ठीक हो सकता है। और अगर इस तरह का हर्निया बड़ों में होता है तो सर्जरी आमतौर पर कर दी जाती है क्योंकि इस अवस्था में यह स्थिति अपने आप ठीक नहीं हो पाती। और साथ ही कुछ जटिलताओं के होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
1. दवाईयां
हाइटल हर्निया होने पर कुछ दवाईयां दी जा सकती हैं। ये दवाईयां पेट के एसिड को कम करने में सहायक होती हैं जो बैचेनी दूर करती है और लक्षणों को सुधारती है।
2. सर्जरी
हर्निया को प्रभावी रूप से ठीक करने के लिए सर्जरी को बेहतर विकल्प माना जाता है।
विभिन्न प्रकार की सर्जरी हर्निया के इलाज में काम आती हैं:-
1. ओपन सर्जरी
इस प्रकार की सर्जरी में डाॅक्टर हर्निया की जगह पर कट लगाता है। उसके बाद दो मसल्स के बीच में एक जाली लगा दी जाती है।
2. लेपेरोस्काॅपिक सर्जरी
इस सर्जरी में एक छोटे कैमरे और कुछ छोटे सर्जिकल यंत्रों की सहायता ली जाती है। अगर कोई व्यक्ति हर्निया के इलाज के लिए इस तरह की सर्जरी की सहायता लेता है, तो यह ओपन सर्जरी की तुलना में रिकवरी जल्द प्रदान करती है। हांलांकि ऐसा भी बताया जाता है कि इस सर्जरी में हर्निया के वापस होने का खतरा भी रहता है।
3. रोबोटिक हर्निया रिपेयर
इस प्रकार की सर्जरी आमतौर पर छोटे हर्निया के उपचार में काम आती है। इसे पेट की दीवार को पुनः निर्माण करने के लिए भी काम में लिया जा सकता है।
याद रहे कि हर सर्जरी के अपने फायदे और नुकसान हैं। आपके डाॅक्टर ही आपकी स्थिति के अनुसार उचित सर्जरी बताएंगे।
क्या हर्निया के घरेलू उपचार फायदेमंद हैं
घरेलू उपचार के माध्यम से आप हर्निया को पूर्ण रूप से ठीक तो नहीं कर सकते, लेकिन इतना ज़रूर है कि कुछ बातों के ज़रिए आपको हर्निया के लक्षण में फायदा मिल सकता है।
1. ज़्यादा से ज़्यादा फलों, सब्जियों और अनाज का सेवन करें जिसमें फाइबर की मात्रा अधिक हो। ज़्यादा फाइबर के माध्यम से आप कब्ज़ की समस्या से दूर रह सकते हैं।
2. इसी के साथ एक सीमा से अधिक खाना खाने से बचें, खाते ही ना सोएं। और ज़्यादा मसालेदार खाना खाने से बचें।
3. अपने शरीर के वज़न को संतुलित रखें।
4. ज़्यादा वज़न वाली चीज़ों को सही तरीके से उठाएं। जो वस्तुएं आपकी क्षमता से ज़्यादा भारी हैं उन्हें उठाने से परहेज़ करें।
5. धुम्रपान से बचें। इसके कारण कई परेशानियां हो सकती हैं। खासतौर से बात की जाए हर्निया की, धुम्रपान खांसी को बढ़ावा देता है।
6. हर्निया के आसपास की मांसपेशियों को मज़बूत करने के लिए कुछ एक्सरसाइज़ फायदेमंद हैं। और इनके माध्यम से आप हर्निया के लक्षण से भी आराम प्राप्त कर सकते हैं। वो कौनसी एक्सरसाइज़ हैं और उन्हें कैसे करना है इसके लिए आप मेवाड़ हाॅस्पिटल के फिजिकल थैरेपिस्ट से संपर्क कर सकते हैं।
याद रखें
अगर आपको हर्निया होने का अंदाज़ा लग चुका है, तो ज़्यादा देर ना करें। इसको नज़रअंदाज़ करने से यह ज़्यादा बड़ा और दुखदायी हो सकता है। ऐसा होने पर कुछ परेशानियां हो सकती हैं, यहां तक कि आपातकालीन सर्जरी भी करनी पड़ सकती है। समय पर उपचार के माध्यम से कम रिस्क और ज़्यादा अच्छी रिकवरी प्राप्त हो सकती है।
जानें हाइड्रोसील के बारे में
हाइड्रोसील उस स्थिति को कहते हैं जब अंडकोष की थैली के बाहरी आवरण में तरल पदार्थ (पानी) भर जाता है जिसकी वजह से सूजन आ जाती है। यह हर्निया के साथ या उसकी अनुपस्थिति में भी हो सकता है। यह परेशानी पुरूषों में होती है और ज़्यादातर बड़ों के मुकाबले बच्चों में पाई जाती है। हालांकि यह कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है, और ना हि इसमें दर्द होता है। लेकिन कभी-कभी इससे परेशानी हो सकती है। इसका पता फिजिकल एग्जाम या अल्ट्रासाउण्ड के माध्यम से लगाया जा सकता है। अगर यह समय रहते ठीक नहीं होता, तो सर्जरी करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
हाइड्रोसील के प्रकार
हाइड्रोसील मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:- कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील (Communicating Hydrocele) और नाॅन कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील (Non-Communicating Hydrocele)
कम्युनिकेटिंग तब कहा जाता है जब अंडकोष की थैली पूर्ण रूप से बंद नहीं होती, जिसके कारण तरह पदार्थ अंडकोष की थैली में प्रवेश कर लेता है। वहीं दूसरी ओर नाॅन कम्युनिकेटिंग जन्म से ही हो सकती है जो 12 माह के अंदर स्वयं ही ठीक हो जाती है। हालांकि कुछ मामलों में यह स्थिति किसी बड़ी समस्या का रूप ले सकती है।
हाइड्रोसील के कारण
1. यह सूजन या चोट लगने के कारण हो सकती है।
2. इंगुइनल हर्निया भी इसके कारणों में से एक है।
3. अंडकोष के निकट ज़्यादा लिक्विड बनना, पैदाइशी समस्या, टेस्टिकल में किसी तरह का इंफेक्शन इसके अन्य कारणों में शुमार हैं।
हाइड्रोसील के लक्षण
अंडकोष में बिना दर्द के सूजन, टेस्टिकल की साइज में वृद्धि या उनमें भारीपन महसूस होना।
हाइड्रोसील के इलाज के लिए आप मेवाड़ हाॅस्पिटल के डाॅक्टर्स से अपाॅइंटमेन्ट के माध्यम से उचित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
बच्चों में हर्निया और हाइड्रोसील की शिकायत
नवजात शिशु और बच्चों में इंगुइनल हर्निया की शिकायत पाई जाती है। ऐसा एब्डाॅमिनल वाॅल (abdominal wall) में कमज़ोरी के कारण होता है जो जन्म के समय मौजूद रहती है। बच्चों में हालांकि हर्निया इतनी आसानी से नज़र ना आए, जब तक कि बच्चा खांसे या रोए ना। इसके अलावा हर्निया होने पर वो सामान्य से ज़्यादा चिड़चिड़े हो सकते हैं या उन्हें भूख कम लगती है। बड़े बच्चों में हर्निया उस समय दिखाई दे जाता है जब वो खांसे, ज़्यादा देर तक खड़ा रहे या फिर मल त्यागे।
वहीं दूसरी ओर ऐसा बताया जाता है कि लगभग 10 प्रतिशत नवजात शिशुओं में हाइड्रोसील पाया जाता है जो कि बिना किसी उपचार के जीवन के पहले साल में ठीक हो जाता है।
मेवाड़ हाॅस्पिटल का संदेश
हर्निया और हाइड्रोसील से जुड़ी सहायता के लिए मेवाड़ हाॅस्पिटल आपकी सेवा के लिए उपलब्ध है। हाॅस्पिटल या इसके सेंटर्स से जु़ड़ी किसी भी अन्य सहायता के लिए आप हमारे हैल्पलाइन नंबर्स पर संपर्क कर सकते हैं।
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आशा करते हैं कि आपको हर्निया और हाइड्रोसील: क्या है कारण, लक्षण और उपचार आइए जाने अच्छी लगी होगी। अगर आप विदेश में MBBS or BDS या अन्य कोर्स करना चाहते हैं तो आज ही BE Educare एक्सपर्ट्स से Call 9569174559 पर कॉल करके 10 मिनट का फ्री सेशन बुक करें|