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आज की इस पोस्ट में हम आपको Mirgi Daura पड़ने के कारण, लक्षण और इलाज: पूरी जानकारी देंगे अगर आपको किसी भी अन्य टॉपिक नोट्स या कोई भी स्टडी मे समस्या हो रही हो या Admission संबंधित जानकारी या कोई अन्य जानकारी चाहिये तो आप हमे Comment के माध्यम से जरुर बताएं या BE Educare एक्सपर्ट्स से 9569174559 पर Whats App करके 10 मिनट का फ्री सेशन बुक करें| अपनी तैयारी या Knowledge और बेहतर बनाने के लिए आप हमारी बेबसाइट को रेगुलर बिजिट करते रहिये |
मिर्गी के दौरे के कई प्रकार हो सकते हैं
- आनुवंशिक अंश: आनुवंशिक अंश मिर्गी के दौरों के कारणों में से एक हो सकते हैं। अगर परिवार में पहले से मिर्गी के मरीज होते हैं, तो उसे बच्चों में भी हो सकता है।
- मस्तिष्क संरचना में अत्यधिक विभिन्नता: कई बार मिर्गी के दौरे मस्तिष्क की संरचना में अत्यधिक विभिन्नता के कारण हो सकते हैं, जिससे विद्युत्क्रिया असंतुलित होती है।
- योनि संकेतकों की समस्याएं: मिर्गी के दौरे कई बार योनि संकेतकों में समस्याओं के कारण हो सकते हैं, जैसे कि मस्तिष्क में रक्तस्राव या योनि संकेतकों की अनुपयुक्त कार्याचरण।
- सिरदर्द या ट्रौमा: मस्तिष्क को किसी प्रकार के ट्रौमा या सिरदर्द का सामना करना भी मिर्गी के दौरे के कारण बन सकता है।
- न्यूरोलॉजिकल संबंधित बीमारियाँ: कई न्यूरोलॉजिकल संबंधित बीमारियाँ, जैसे कि मस्तिष्क के किसी हिस्से की समस्या, तनाव, मस्तिष्क की इन्फेक्शन, आदि, मिर्गी के दौरों के कारण बन सकती हैं।
- दवाओं का सेवन: कुछ दवाएँ और उपाय भी मिर्गी के दौरों को प्रेरित कर सकते हैं, जैसे कि बिना डॉक्टर की सलाह के आंखों की दवाएँ, अधिक मात्रा में शराब पीना, नींद की दवाएँ, आदि।
- अन्य कारण: अन्य कारण में तनाव, अनियमित आहार और निद्रा, आदि शामिल हो सकते हैं, जो मिर्गी के दौरे का कारण बन सकते हैं।
मिर्गी के दौरे के लक्षण
- अचानक बेहोशी या चक्कर आना: दौर की शुरुआत में व्यक्ति अचानक बेहोश हो सकता है या वो चक्कर आने का अहसास कर सकता है।
- अनुचित गतिविधियाँ: व्यक्ति कुछ अनुचित गतिविधियाँ कर सकता है, जैसे कि बिना सोचे-समझे चलना, बिना किसी कारण के फोफोले में हाथ मारना आदि।
- मुंह में फोफोले या फूंकने की क्रियाएँ: मिर्गी के दौर के दौरान कुछ लोगों को मुंह में फोफोले या अनियमित तरीके से फूंकने की इच्छा हो सकती है।
- झपकन या अंधापन: व्यक्ति की आँखों में झपकन या अंधापन की स्थिति हो सकती है।
- सांस लेने में कठिनाई: कुछ लोगों को मिर्गी के दौर के दौरान सांस लेने में कठिनाई का अहसास हो सकता है।
- मांसपेशियों की तनावमयता: दौर के समय मांसपेशियों में तनावमयता या असामान्य गतिविधियाँ हो सकती हैं।
- मूड बदलाव: मिर्गी के दौर के बाद, व्यक्ति का मूड बदल सकता है, उन्हें चिढ़ जाने की आवश्यकता नहीं होती।
- भूखमरी या उलझन: कुछ लोगों को मिर्गी के दौर के बाद भूखमरी या उलझन की भावना हो सकती है।
- अशक्ति या थकान: मिर्गी के दौर के बाद व्यक्ति को अशक्ति महसूस हो सकती है और वो थका हुआ महसूस कर सकता है।
मिर्गी के दौरे के इलाज
- दवाइयाँ: डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर दवाइयों का प्रेस्क्रिप्शन कर सकते हैं जो मिर्गी के दौरे को कम करने और नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। ये दवाएँ बार-बार होने वाले दौरों की ताकमाक से बचने में मदद कर सकती हैं।
- शल्य चिकित्सा: कुछ मामलों में, जब दवाइयों से सहायता नहीं मिलती है, डॉक्टर सलाह दे सकते हैं कि सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
- किरों का प्रयोग: किरों का उपयोग उन लोगों के लिए किया जा सकता है जिन्हें दवाइयों से सहायता नहीं मिलती है या जिनके लिए सर्जरी का सहायक उपाय नहीं हो सकता।
- कैस्थेटिक स्त्रोत स्टिमुलेशन (VNS): यह एक डिवाइस होता है जो मस्तिष्क में छोटे से विद्युत्क्रिया का उत्पन्न करता है और मिर्गी के दौरों को कम करने में मदद करता है।
- कैशेक्ट ट्रैनिंग (Ketogenic Diet): यह आहार प्रणाली जिसमें कम कार्बोहाइड्रेट और अधिक प्रोटीन और चरबी की मात्रा होती है, कुछ मिर्गी के मरीजों के लिए उपयुक्त साबित हो सकती है।
- जीवनशैली में परिवर्तन: स्वस्थ जीवनशैली की पालन करने से मिर्गी के दौरों को कम किया जा सकता है। यह मनोबल को मजबूती प्रदान कर सकता है और स्थिरता बनाए रख सकता है।
- सामर्थ्य विकास (Cognitive Behavioral Therapy): कुछ मरीजों के लिए, मस्तिष्कीय उत्तेजना की निगरानी करने और उसे नियंत्रित करने के लिए सामर्थ्य विकास काम आ सकता है।
इलाज का चयन व्यक्तिगत स्थितियों पर निर्भर करेगा और आपके डॉक्टर की सलाह के आधार पर होना चाहिए। अपने चिकित्सक से सलाह लेने से पहले अपने लक्षणों को विस्तार से समझें और उनसे संबंधित सभी सवाल पूछें।
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