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बीएएमएस (आयुर्वेदीय चिकित्सा और शल्य चिकित्सा की स्नातक डिग्री) आयुर्वेद के क्षेत्र में एक स्नातक कार्यक्रम है। बीएएमएस के लिए पाठ्यक्रम व्यापक है और आयुर्वेदिक चिकित्सा और शल्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को कवर करता है। नीचे एक सामान्य अवलोकन है:
प्रथम वर्ष:
- अयुर्वेद की प्रारंभिक सिद्धांत:
- आयुर्वेद का इतिहास और संस्कृति
- आयुर्वेदीय सिद्धांतों का अध्ययन
- संस्कृत और आयुर्वेद में भाषा
- शरीर रचना:
- शरीर की कोशिकाएं और ऊतक
- शरीर के अण्डांत: शरीर के संगणकों का अध्ययन
- अनुलोमन और प्रतिलोमन विज्ञान:
- रोग प्रतिकारी सिद्धांत
- आहार, निद्रा, ब्रह्मचर्य, आदि
द्वितीय वर्ष:
- द्रव्यगुण विज्ञान:
- आयुर्वेद में औषधीय पौधों का अध्ययन
- औषधीय गुणधर्मों का विश्लेषण
- रसशास्त्र:
- रस, रसायन, और रसशास्त्र में प्रमुख सिद्धांत
- रसायन विज्ञान के तत्व
- रोग विज्ञान और विकृति विज्ञान:
- रोग विकारों का अध्ययन
- निदान और समृद्धि
तृतीय वर्ष:
- आयुर्वेद थेरेप्युटिक्स:
- पंचकर्म, रसायन चिकित्सा, स्वेदन, और शल्य चिकित्सा
- आयुर्वेदीय चिकित्सा पद्धतियाँ
- स्वास्थ्य एवं प्रशिक्षण:
- स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेद
- आयुर्वेद में सामाजिक और व्यक्तिगत स्वास्थ्य
चौथा वर्ष:
- अचार्या और अचार्या विज्ञान:
- आचार्यों का भूमिका और आयुर्वेद में उनका योगदान
- आचार्यों के दर्शन और विचार
- अंगप्रदेशिक विज्ञान:
- शिरोरोग, शाल्यतंत्र, और नेत्ररोग
- अंगप्रदेशिक रोग और चिकित्सा
पांचवा वर्ष:
- अयुर्वेदीय विशेषज्ञता चिकित्सा:
- रसायन, प्रसूति एवं स्त्रीरोग, बालरोग, भूतविद्या
- रोग परिचय और चिकित्सा
- अयुर्वेद एवं संगीत:
- आयुर्वेद में संगीत का महत्व
- ध्वनि, ताल, राग, और रस
नोट: यह एक सामान्य अवलोकन है और यह संक्षेपित सिलेबस है, विभिन्न विश्वविद्यालयों में यह थोड़ा भिन्न हो सकता है। आपको अपने विश्वविद्यालय या संबंधित शैक्षणिक संस्था से संपर्क करना चाहिए ताकि आप विवरण और विशेषज्ञता क्षेत्रों के बारे में अधिक जान सकें।